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Toggleआवर्त गति :
- आवर्त गति : सरल लोलक की गति आवर्त गति है चूँकि लोलक अपनी गति को एक निश्चित पथ पर दोहराता रहता है.
- आवर्त काल, T = एक दोलन में लगा समय
- आवृत्ति, n = एक सेकण्ड में दोलनों की संख्या
यदि कोई वस्तु 1 से० में n दोलन करती है तो 1 दोलन में लगा समय,
T=\frac{1}{n} \Rightarrow n = \frac{1}{T} \Rightarrow n \times T = 1
\Rightarrow आवृत्ति, आवर्त काल का व्युत्क्रम होती है
तरंग (Wave) :
तरंगे दो प्रकार की होती है :
- अनुप्रस्थ तरंगे : वे तरंगे जिनमें माध्यम के कण तरंगे चलने की दिशा के तम्बवत कम्पन करते हैं अनुप्रस्थ तरंगे कहलाती हैं. जैसे :
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- जल में पत्थर फेकने से उत्पन्न तारंगे,
- रस्सी में उत्पन्न तरंगे,
- सितार, वायलिन आदि के तार में उत्पन्न तरंते.
- तरंगों के उठे भाग को श्रृंग तथा दबे भाग को गर्त कहते हैं. दो श्रृंगों अथवा दो गर्तों के बीच की दूरी तरंग की लम्बाई होती है. इसे तरंगदैर्ध्य कहते हैं और '\lambda ' से निरुपित करते हैं.
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- अनुदैर्ध्य तरंग : वे तरंगें जिनमें माध्य के कण तरंग की दिशा में कम्पन करते हैं, अनुदैर्ध्य तरंगें कहलाती है. जैसे
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- ध्वनि से वायु में उत्पन्न तरंगें,
- स्प्रिंग में उत्पन्न तरंगें,
- स्वरित्र द्विभुज से उत्पन्न तरंगें.
- ये तरंगें संपीडन तथा विरलन के रूप में आगे बढ़ती हैं. दो संपीडनों या दो विरलनों के बीच की दूरी को तरंगदैर्ध्य कहते हैं.
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- तरंग की चाल, v = n \lambda , जहाँ n = \frac{1}{T}
- तरंग की तीब्रता : तरंग की ऊर्जा अथवा तीब्रता I, आयाम a के वर्ग के समानुपाती होती है अर्थात् I \infty a^{2}
ध्वनि की तरंगें :
तीन प्रकार की हैं –
- अश्रव्य तरंगें : इन तरंगों की आवृत्ति 20 हर्टज़ से काम होती है. इन्हें सुना नहीं जा सकता है. भूचाल के समय अश्रव्य तरंगें उत्पन्न होती हैं.
- श्रव्य तरंगें : इन तरंगों की आवृत्ति 20 से 20000 हर्ट्ज़ तक होती है. इन्हें कानोँ से सुना जा सकता है.
- पराश्रव्य तरंगें : इन तरंगों की आवृत्ति 20000 हर्ट्ज़ से अधिक होती है. इन्हें कुत्ता, चमगादड़ तथा चिड़ियाँ ही सुन सकती हैं. पराश्रव्य तरंग की वायु में तरंगदैर्ध्य 1.6 सेमी० से काम होती है.
ध्वनि के वेग पर प्रभाव :
- 1^{\circ}C ताप बढ़ने पर वेग ०.6 मी०/से० बढ़ जाता हैं. t^{\circ}C पर वेग निम्न सूत्र से ज्ञात करते हैं
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- V_{t} = V_{0} + ०.6 t
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- ध्वनि के वेग पर दाब पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता .
- जल वाष्प बढ़ने से ध्वनि का वेग बढ़ जाता है.
- ध्वनि की चाल माध्यम के घनत्व के वर्गमूल के व्युत्क्रमानुपाती है. अर्थात्
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- V \infty \frac{1}{\sqrt{d}} \Rightarrow V = \sqrt{\frac{E}{d}} \Rightarrow V = \sqrt{\frac{\gamma}{d}} जहाँ E अथवा y माध्यम की प्रत्यास्थता है.
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- ध्वनि की चाल गैसों में सबसे कम, द्रवों में उससे अधिक तथा ठोसों में सबसे अधिक होती है. 0^{\circ}C पर ध्वनि की चाल वायु में 332 मी०/से०, जल में 1460 मी०/से० तथा लोहे में 5100 मी०/से० होती है.
प्रतिध्वनी (Echo) :
यदि ध्वनि स्रोत से परावर्तक तल की दूरी d है तो प्रतिध्वनि सुनने में लगा समय,
t = \frac{2d}{V (ध्वनि की चाल)} \Rightarrow V = \frac{2d}{t}
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